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सार्वजनिक वित्तीय विवरण (अनुच्छेद 112) याने की बजट इस वर्ष फरवरी के अंतिम दिवस पर पेश न किया जा कर 1 फरवरी को पेश किया गया, हालांकि वित्तीय वर्ष पूर्व की तरह ही 1 अप्रेल से 28 फरवरी रहेगा. आज के लेख में बजट को समझने का प्रयास करेंगे लेकिन इससे पहले जान लेना आवश्यक है की बजट का हिसाब करोडो रुपयों में होता है जैसे की इस बार 21,46,735 करोड़ रूपये रखा गया है . सुविधा की दृष्टि से हम पुरे बजट को 1 रुपया मान कर उसे 100 पैसे में व्यक्त करते हुए समझ सकते है.बजट को 100 पैसे मानते हुए आसानी से बजट को समझे:
बजट का सामान्य अर्थ होता है की किसी वित्त वर्ष में कितना पैसा किन-किन मदों से आएगा और हम उस पैसे को किस प्रकार या किन-किन मदों में खर्च करेंगे. इस प्रकार जितनी आय हो उतना ही खर्च बजट में दर्शाया जाता है याने की बजट आय व व्ययों का विवरण पत्र होता है. अब पुरे बजट को समझने के लिए हम इसे दो भागो में बांटते है सार्वजनिक आय और सार्वजनिक व्यय. अब आप निचे दिए फ्लो चार्ट को देख कर ध्यानपूर्वक अध्ययन कीजिये -
बजट 2017-18 फ्लो चार्ट |
आप इस फ्लो चार्ट को प्रिंट भी कर सकते ताकि परीक्षा में जब प्रतिशत पूछा जाता है जेसे की इस वर्ष किन करो से अधिक आय प्राप्त होगी ? (उत्तर: निगम करो से 19 प्रतिशत) , सब्सिडी या अनुदान में कितना खर्च होगा ?(उत्तर : 10 प्रतिशत). इसी लिए यह चार्ट महत्वपूर्ण हो जाता है.
इस बार का बजट 21,46,735 करोड़ = 100 पैसे मान लेते है. अब इसे दो भागो में बांट लेते है सार्वजानिक आय और व्यय. जेसा की फ्लो चार्ट में दिया है.
1. सार्वजानिक आय (100 पैसा)
1. राजस्व आय (78 पैसा)
राजस्व आय से तात्पर्य एसी आय जो बार-बार आये, वपस नहीं करनी पड़े. इसकी अधिकता होने पर पूंजीगत व्यय में विस्तार किया जा सकता है .यह भी दो प्रकार से प्राप्त होता है 1. सरकार द्वारा लगाये जाने वाले कर तथा 2. गैर कर (सरकार को लाभ, ब्याज, लगान और वित्तीय सेवाओ के बदले प्राप्त आय).
- कर आय (68 पैसा): करो से मिलने वाली आय में प्रत्यक्ष कर एंव अप्रत्यक्ष कर शामिल है.
प्रत्यक्ष कर : एसा कर जिसका कराघात एंव करापात एक ही बिंदु पर हो अर्ताथ करदाता कर के बोझ को किसी अन्य व्यक्ति/संस्था पर स्थानांतरित नहीं कर पाए.
अप्रत्यक्ष कर : एसा कर जिसका कराघात एंव करपात एक ही बिंदु पर न हो अर्थात करदाता कर के बोझ को अन्य व्यक्ति/संस्था पर स्थानांतरित कर पाए. (लगे किसी और पर भरे कोई और )प्रत्यक्ष कर (35 पैसा)
- निगम कर : 19 पैसा
- आय कर : 16 पैसा
अप्रत्यक्ष कर (33 पैसा)
- केन्द्रीय उत्पाद शुल्क : 14 पैसा
- सेवा शुल्क : 10 पैसा
- सीमा शुल्क : 9 पैसा
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- गैर-कर आय (10 पैसा): इसमें सरकार को सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों से प्राप्त होने वाले लाभों, ऋणों के बदले प्राप्त ब्याज, भूमि लगान तथा अन्य वित्तीय सेवाओं से प्राप्त आय को शामिल किया जाता है जो कुल प्राप्त कर 10 प्रतिशत मात्र है.
2. पूंजीगत आय (22 पैसा)
एसी आय जो सिर्फ एक बार प्राप्त होति है लेकिन वापस चुकानी भी पड़ती हो. इसमें दो तरह की आय शामिल है पहली कर्ज के द्वारा प्राप्त आय और दूसरी गैर-कर्ज से प्राप्त आय.
- कर्ज से प्राप्त आय (19 पैसा)
- गैर-कर्ज से प्राप्त आय (3 पैसा) : यह विनिवेश आदि से प्राप्त होती है .
2. सार्वजानिक व्यय (100 पैसा)
1. केन्द्रीय व्यय (61 पैसा)
केन्द्रीय व्ययों को पुन: दो भागो में बांटा जाता है:
- पूंजीगत व्यय/ योजनागत व्यय/ विकासात्मक व्यय (11 पैसा) : जैसा की नाम से ही स्पष्ट है विकासात्मक व्यय जो पूंजी निर्माण में खर्च किया जाता है जिनमें मुख्य रूप से ऋण आदायगी तथा निवेश शामिल है.
- राजस्व व्यय/गैर-योजनागत व्यय/गैर-विकासशील व्यय (50 पैसा): इसमें मुख्य रूप से 4 मदों में खर्च किया जाता है-
- ब्याज अदायगी : 18 पैसा
- रक्षा/प्रतिरक्षा : 9 पैसा
- अनुदान/सब्सिडी: 10 पैसा
- अन्य प्रशासनिक व्यय : 13 पैसा
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2. राज्यों का हिस्सा (39 पैसा)
केन्द्रीय करो से प्राप्त आय को 3 भागो में बांटा जाता है:
- केन्द्रीय करो एंव शुल्को में राज्य का हिस्सा : 24 पैसा
- राज्यों को गैर योजनागत सहायता: 5 पैसा
- राज्यों को योजनागत सहायता: 10 पैसा
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देखे बजट 2018-19 सम्पूर्ण विवरण
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