अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारियों को ‘वैलेंडाइन डे’ का तोहफा देते हुए केंद्र सरकार ने आज नियमों में संशोधन कर भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस), भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) और भारतीय वन सेवा (आईएफएस) में सेवारत शादीशुदा दंपतियों को अनिवार्य रूप से एक ही कैडर राज्य आवंटित करने को मंजूरी दे दी।
बहरहाल, ऐसे दंपतियों को वह कैडर नहीं दिया जाएगा जो पति या पत्नी में से किसी एक का गृह राज्य हो। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट की नियुक्ति समिति (एसीसी) ने इस संशोधन को मंजूरी दी। ये नियम अखिल भारतीय सेवाओं (आईएएस, आईपीएस और आईएफएस) के अधिकारियों पर लागू होंगे।
इन नियमों में संशोधन की जरूरत 2011 बैच के आईएएस अधिकारी पी पार्थिवन के मामले से पैदा हुई। पार्थिवन ने अपनी बैचमेट और तमिलनाडु कैडर की आईपीएस अधिकारी निशा से शादी की। निशा मूल रूप से दिल्ली की रहने वाली हैं जबकि पार्थिवन तमिलनाडु के रहने वाले हैं। पार्थिवन को केंद्रशासित प्रदेश कैडर आवंटित किया गया है। जिसके तहत दिल्ली भी आता है।
दंपति ने मांग की थी कि उन्हें तमिलनाडु या केंद्रशासित प्रदेश कैडर दिया जाए क्योंकि ये पति-पत्नी के गृह राज्य हैं। दंपति ने सिविल सेवा के उन नियमों का हवाला देते हुए यह मांग की थी जिसके तहत दंपति एक ही कैडर राज्य में भेजे जा सकते हैं। पहले के नियम में सरकार के लिए यह अनिवार्य नहीं था कि वह अधिकारियों का कैडर बदले। नियम में कहा गया था कि सरकार जहां तक संभव हो, इस दिशा में प्रयास कर सकती है।
कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) के सचिव की अध्यक्षता वाली समिति के सामने इस मामले को रखा गया था। यह समिति अंतर-कैडर तबादले और प्रतिनियुक्ति के मामलों पर फैसला करती है। समिति ने फिर दिशानिर्देशों में बदलाव की सिफारिश की थी, जिसे अब एसीसी ने मंजूरी दे दी।
डीओपीटी के आदेश में कहा गया कि एसीसी ने मंजूरी दी है कि जिन मामलों में कोई अधिकारी यानी पति या पत्नी में से कोई एक अपने जीवनसाथी का कैडर नहीं चुन सकते तो ऐसे अधिकारियों को वह कैडर आवंटित किया जा सकता है जिसे उन्होंने यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में कैडर को लेकर अगले विकल्प के तौर पर लिखा हो। सिविल सेवा परीक्षा के दौरान किसी उम्मीदवार को विस्तृत आवेदन फॉर्म भरकर बताना होता कि चयन होने पर वह किन राज्य कैडरों को आवंटित किया जाना पसंद करेगा।
0 Comments