इसरो ने रचा इतिहास, एक साथ छोड़े 104 उपग्रह

अपनी 39th उड़ान के साथ PSLV दुनिया का सबसे भरोसेमंद सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल बन गया। 1993 से लेकर अब तक इसने 38 उड़ानों में कई भारतीय और 180 विदेशी सैटेलाइट्स स्पेस में पहुंचाए हैं। इस बार 104 सैटेलाइट्स लॉन्च करने के लिए साइंटिस्ट्स ने PSLV के पावरफुल XL वर्जन का इस्तेमाल किया। ध्यान देने योग्य है कि 2008 में मिशन चंद्रयान और 2014 में मंगलयान भी इसी के जरिए पूरे हो सके थे।

भेजे गए उपग्रहों के बारे में जानकारी-

Pslv c37 isro

  • प्रक्षेपित किए जाने वाले 104 उपग्रहों में 03 भारतीय, 96 अमेरिकी और शेष इजरायल, कजाखिस्तान, नीदरलैंड्स, स्विट्जरलैंड और संयुक्त अरब अमीरात से हैं।
  • उपग्रहों का प्रक्षेपण पीएसएलवी-सी37 से किया गया ।
  • उपग्रहों का संयुक्त भार 1378 किग्रा है।
  • इसमें भारत का 714 किग्रा का रिमोट-सेंसिंग काटरेसेट-2 और 15-15 किग्रा के दो छोटे उपग्रह INS-1A और INS-1B भी सम्मिलित हैं।

भारतीय उपग्रह कार्टोसेट-2 के बारे में-
Cartosat-2 detailed in hindi
स्रोत : ISRO

  • इसरो ने कार्टोसेट-2 सीरीज का चौथा सैटेलाइट स्पेस में भेजा।
  • इसके जरिए रिमोट सेंसिंग सर्विस मिलेगी। 
  • इसके जरिए भेजी गई तस्वीरें कोस्टल एरिया में रोड ट्रैफिक, पानी के डिस्ट्रीब्यूशन, मैप रेग्युलेशन समेत कई कामों के लिए अहम होंगी। 
  • कार्टोसेट -2 सीरीज मिशन का जीवन काल 5 साल है।

अंतरिक्ष में उपग्रह भेजने के रिकार्ड -

  • भारत का इससे पहले व्यक्तिगत रिकॉर्ड जून, 2015 में एक ही बार में 20 उपग्रहों को भेजने का बना चुका है। 
  • वर्ष 2014 में रूस द्वारा 37 उपग्रहों को एक साथ भेजने का विश्व रिकॉर्ड था। अब भारत ने इस रिकॉर्ड को तोड़ दिया।

भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम की अब तक की उपलब्धियां  -

Aarybhatt satellite 1975
1975 में देश का पहला उपग्रहआर्यभट्ट अंतरिक्ष में भेजा गया. इसका नाम महान भारतीय खगोलशास्त्रीके नाम पर रखा गया था. इस सेटेलाइट को कॉसमॉस-3एम प्रक्षेपण वाहन के जरिए कास्पुतिन यान से प्रक्षेपित किया गया था. सबसे खास बात ये थी कि इस उपग्रह का निर्माण पूरी तरह से भारत में ही हुआ था.

Insat program of india 1983
Image SRC: slideshare | INSAT
भारतीय राष्ट्रीय उपग्रह प्रणाली (इन्सैट) बहुउद्देशीय उपग्रहों की एक श्रृंखला है जो दूरसंचार, प्रसारण, मौसम विज्ञान, खोज और बचाव कार्य के लिए उपयोग होती है. इस श्रृंखला का पहला उपग्रह 1983 में लॉन्च किया गया था, जिसने भारत में रेडियो और टेलिविजन जैसी प्रसारण प्रणाली में क्रांति ला दी थी.

इसरो ने 1990 में ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी)को विकसित किया था. 1993 में इस यान से पहला उपग्रह ऑर्बिट में भेजा गया, जो भारत के लिए गर्व की बात थी. इससे पहले यह सुविधा केवल रूस के पास थी.

2008 में भारत और इसरो ने चंद्रयान बनाकर इतिहास रच दिया था. 22 अक्टूबर 2008 को पूरी तरह से देश में निर्मित इस मानव रहित अंतरिक्ष यान को चांद पर भेजा गया था. इससे पहले ऐसा सिर्फ छह देश ही कर पाए थे.

चांद तक पहुंचने के बाद भारत मंगल तक भी पहुंच गया. इसके साथ ही भारत उन चुनिंदा देशों की लिस्ट में शामिल हो गया जहां के अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने ऐसा करने में सफलता हासिल की थी. 2014 मंगल ग्रह की परिक्रमा करने के लिए मंगलयान को छोड़ा गया. इस मिशन की खासियत ये भी थी कि भारत ने पूरे अभियान को अमेरिका के मंगल मिशन की तुलना में 10 फीसदी कम कीमत में कर दिखाया.

2016 में इसरो ने एक बार फिर इतिहास रचा. 28 अप्रेल को इंडियन रीजनल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम के सातवें उपग्रह का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया गया. इसके साथ ही भारत को अमेरिका के जीपीएस सिस्टम के समान अपना खुद का नेविगेशन सिस्टम मिल गया. इससे पहले अमेरिका और रूस ने ही ये उपलब्धी हासिल की थी.

जून 2015 में इसरो ने एक साथ 20 उपग्रह प्रक्षेपित किए थे. पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (पीएसएलवी) का ये 36वें प्रक्षेपण था. इसमें भारतीय उपग्रहों के साथ ही कनाडा, इंडोनेशिया, जर्मनी और अमेरिका आदि देशों के 17 छोटे सैटेलाइट लॉन्च किए गए थे.

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