GST वस्तु व सेवा कर पर आलेख

वस्तु एवं सेवा कर...GST(Goods & service Tax)

भारत मे कर वसूली के 2 क्षैत्र है, प्रत्यक्ष कर क्षैत्र एवं अप्रत्यक्ष कर क्षैत्र । GST का संबंध अप्रत्यक्ष कर क्षैत्र में सुधारों से है। GST का उद्देश्य पूरे देश मे एक समान कराधान क्षेत्र निर्मित करना हे । वर्तमान मे अप्रत्यक्ष कर संविधान की तीनो सूचियो मे उल्लेखित हे । GST का  प्रस्ताव भारत में सबसे पहले 2007 मे रखा गया था ओर इसे 2010 मे लागू करना था । लेकिन विभिन्न राज्य द्वारा इसका विरोध किया गया जिस कारण GST को लागू करने का लक्ष्य 1 अप्रैल 2016 रखा गया।
GST के तहत सीमा शुल्क को छोडकर अन्य सभी केंद्रीय एवं राज्य अप्रत्यक्ष करो को शामिल किया गया हे साथ ही कुछ वस्तुओं एवँ सेवाओं की नकारात्मक सूची भी तैयार की गई हे, जिनके ऊपर GST लागू नहीँ होगा। इसका मुख्य उद्देश्य पूरे भारत मेँ एक समान कराधान प्रणाली विकसित करना जिससे राजस्व मे वृद्धि हो सके, साथ ही राजस्व प्रशासन मे भी व्यय भार कम हो सके।

राज्य की असहमति किन मुद्दों पर :-

•राज्य पेट्रोल और शराब को GST के दायरे से बाहर रखने के पक्ष मे हे।
• राज्य 5 वर्ष तक राजस्व हानि की भरपाई चाहते हे, लेकिन केंद्र 3 वर्ष के लिए तेयार हे।
• राज्य राजस्व क्षतिपूर्ति का प्रावधान संविधान मे करवाने के पक्षधर हे ।
• सालाना कारोबार की सीमा पर भी असहमति है, राज्य चाहते हे कि 10 लाख की यूनतम सीमा हो, जबकि केंद्र 25 लाख की न्यूनतम सीमा रखना चाहता हे।
नोट: GST की दर 20 प्रतिशत तक हो सकती हे जिसमे केंद्र-राज्य अनुपात क्रमशः 8:12 हो सकता हे।
  (GST के सन्दर्भ में संविधान संशोधन विधेयक,115 प्रस्तावित था तथा बजट 2014 -15 के अनुसार राज्य सरकारो से विचार विमर्श कर GST को इसी वर्ष लागू किया जाना है ।)
        सभी विकसित राष्ट्रों मे GST प्रणाली को अपनाया गया हे। भारत मे भी इस कर प्रणाली को जल्द से जल्द लागू कर दिया जाना ही भारत के पक्ष मे है।  राज्यो का अनुसमर्थन प्राप्त करने के लिए वर्ष 2013 के प्रारंभ मे अब्दुल रहीम राधर की अध्यक्षता मे एक समिति का गठन किया गया । इस समिति ने राज्यो के पक्ष मे अपनी अनुशंसाओ को वर्तमान केंद्र सरकार को सौंप दी है। इस कारण GST विधेयक को संशोधनों के साथ दिसम्बर,2015 में मंत्री मंडल द्वारा पारित कर दिया गया है। इसके लिए पुनः संविधान संशोधन विधेयक,122 लाया गया है ।अब इसे संसद द्वारा पारित किया जाना शेष है साथ ही अनुच्छेद 368 के तहत संविधान संशोधन की भी आवश्यकता होगी।
यदि सरकार GST विधेयक को शीत सत्र मे पारित नही करा पाती तो सरकार राष्ट्रपति द्वारा अध्यादेश पारित करा सकती है।ताकि GST को 1 अप्रैल 2016 तक लागू किया जा सके ।

GST कानून पारित होने से प्रभावित होने वाले संविधानिक प्रावधान:-

• सेवा कर से संबंधित अनुच्छेद 268A को समाप्त किया जाएगा साथ ही ऐसे प्रावधान वाले अनुच्छेदों में संशोधन किया जाएगा ।
• अनुसूची 7 मे संशोधन किया जाएगा।
• 2 नये अनुछेद, अनु.279A तथा अनु.279B  जोड़े जायेंगे।
अनु. 279A -: GST परिषद  का प्रावधान है । इसका अध्यक्ष भारत का वित्त मंत्री होगा तथा सदस्य सभी राज्यो के वित्त मंत्री होंगे। परिषद् का कार्य आपसी परामर्श से एसे प्रावधानो का निर्धारण जिन्हें GST से हटाना या जोड़ना हो।
अनु. 279B -: GST विवाद समाधान प्राधिकरण  का प्रावधान हे ।
इसके अध्यक्ष की नियुक्ति राष्ट्रपति भारत के सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की सलाह पर करेंगे। अध्यक्ष वह  व्यक्ति होगा जो सर्वोच्च न्यायालय का न्यायधीश हो।
इस प्राधिकरण के 2 सदस्यों की नियुक्ति GST परिषद की सलाह पर की जाएगी।जो आर्थिक मामलो के विशेषज्ञ होंगे ।
प्राधिकरण का कार्य GST से संबंधित किसी विवाद का समाधान करना होगा।

GST आने के बाद ?

कर विवाद कम होंगे, कराधान पारदर्शी होगा, कर वसूली की सभी प्रक्रियाएँ ऑनलाइन होगी, राज्यो के अप्रत्यक्ष कर (चुंगी कर, मनोरंजन कर, वेट आदि जेसे कर) समाप्त होंगे । जहाँ उपभोक्ताओं कोउत्पादों की खरीद पर 30-50 % कर चुकाना होता था वही अब 20-25% कर ही चुकाना होगा। (लगभग 10 प्रतिशत कम)
इसका सर्वाधिक लाभ आम जनता को होगा । उपभोक्ताओं को वस्तु की कीमत मेँ राहत मिलेगी वहीँ सरकार को राजस्व मेँ वृद्धि के साथ-साथ राष्ट्रीय स्तर पर उत्पादन मेँ प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी जो की अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा संकेत है।

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