अशोक के अभिलेख short notes |
अशोक के अभिलेख (शिलालेख, स्तंभलेख, गुहालेख):
अशोक के अभिलेख: मौर्य साम्राज्य के आखरी महान सम्राट अशोक द्वारा 269 ईसापूर्व से 232 ईसापूर्व तक के अपने शासनकाल में चट्टानों और पत्थर के स्तंभों पर कई नैतिक, धार्मिक और राजकीय शिक्षा देते हुए लेख खुदवाए गए थे, जिन्हें अशोक के अभिलेख या अशोक के शिलालेख कहा जाता है।
शिलालेखों- अभिलेखों में उत्कीर्ण महत्वपूर्ण बातें
- धौली तथा जौगढ़ के अभिलेखों में लिखा है- सभी मनुष्य मेरी संतान है………….
- गिरनार लेख से पता चलता है कि अशोक ने मनुष्य तथा पशुओं के लिए अलग-अलग चिकित्सालयों की स्थापना करवाई है.
- रुम्मिनदेई अभिलेख- एकमात्र अभिलेख, जिसमें कराधान की चर्चा है. अभिषेक के 20 में वर्ष में अशोक द्वारा लुंबिनी की यात्रा और वहां का भूमिकर घटाकर 1\8 कर दिया गया.
- डी आर भंडारकर ने केवल अभिलेखों के आधार पर अशोक का इतिहास लिखा.
- अशोक के प्राय सभी अभिलेख प्राकृत भाषा में तथा ब्राह्मी लिपि में लिखे गए हैं. परंतु शाहबाजगढ़ी तथा मानसेहरा अभिलेख की लिपि खरोष्ठी है, जबकि तक्षशिला तथा लघमान से प्राप्त अभिलेख अरामेइक लिपि में लिखे गए हैं.
- कंधार के पास शरे-कुना नामक स्थान से प्राप्त अभिलेख यूनानी तथा अरामाइक की लिपि है.
- मास्की, गुर्जरा, नेतृत्व उड़े गोलम के लेखों में अशोक का नाम मिलता है.
- इलाहाबाद स्तंभ लेख पर अशोक के अतिरिक्त समुद्रगुप्त तथा अकबर के दरबारी बीरबल के अभिलेख मिलते हैं.
- भाब्रू शिलालेख मैं अशोक ने बौद्ध ग्रंथों में विश्वास प्रकट किया है एवं इसी में अशोक के धम्म का उल्लेख भी मिलता है.
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अशोक के स्तंभों में उकेरीत प्रमुख आकृतियां:
- बसाढ़ स्तंभ : सिंह,
- संकिसा : हाथी,
- रामपुरवा : सांड,
- लौरिया नंदनगढ़ : सिंह,
- सांची : चार सिंह ,
- सारनाथ : स्तंभ पर गज , बेल, तथा सिंह की आकृतियां उत्कीर्ण है.
- ब्राह्मी लिपि बाएं से दाएं और खरोष्ठी लिपि दाएं से बाएं लिखी जाती थी. परंतु अशोक के एर्रगुडी शिलालेख में ब्राही लिपि दाएं से बाएं लिखी हुई है.
- पांचवां स्तंभ लेख में अशोक विभिन्न जानवरों के वध करने, जंगल जलाने, एक जीव को दूसरे जीव को खिलाने, निश्चित दिनों में मछली मारने, जानवरों को बधिया करने, पशुओं और घोड़े को दागने पर प्रतिबंध लगाता है. किसी लेख में उल्लेख है कि राज्य अभिषेक के समय से 26 वर्षों तक 25 बार कैदियों को रिहा किया गया है.
- अशोक का सबसे लम्बा स्तम्भ लेख उसका सातवाँ लेख है. उसका सबसे छोटा लेख रुम्मिनदेई में स्थित है.
- अशोक साँची, सारनाथ और कौशाम्बी के अपने लघु स्तम्भ लेखो में अपने महामात्रोको संघभेद रोकने का आदेश देता है.
- अशोक के अभिलेखों की भाषा संस्कृत में होकर पाली थी और यह उस समय आम जनता की भाषा थी.
- अशोक के प्रांतों की राजधानी का उल्लेख धौली तथा गोड के शिलालेखों में मिलता है.
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