इसरो ने किया 100वें उपग्रह PSLV-C40 का प्रक्षेपण:
Image credit : PTI GRAPHICS |
- PSLV- C40 के साथ 1332 किलो वजनी 31 उपग्रह प्रक्षेपित किए गए है ।
- 3 उपग्रह भारतीय हैं व 28 उपग्रह छह देशों (1-कनाडा, 1-फिनलैंड, 1-फ्रांस, 5-दक्षिण कोरिया, 1-ब्रिटेन और 19-अमेरिका) के हैं।
- भारतीय उपग्रह में 710 किलोग्राम का काटरेसेट-2, 100 किलोग्राम का माइक्रो और 10 किलोग्राम का नैनो उपग्रह भी शामिल हैं।
- 1 अगस्त 2017 इसी तरह का एक प्रक्षेपास्त्र पृथ्वी की निम्न कक्षा में देश के आठवें नेविगेशन उपग्रह को वितरित करने में असफल रहा था।
- पीएसएलवी-सी40 वर्ष 2018 की पहली अंतरिक्ष परियोजना है।
- इसका प्रक्षेपण श्रीहरिकोटा (आंध्र प्रदेश) से किया गया।
इसरो प्रमुख अन्नादुरई ने कहा, “पीएसएलवी अपने 39वें परियोजना (पीएसएलवी-सी 39) तक बहुत सफल रहा था। पीएसएलवी-सी 39 हमारे लिए एक बहुत बरा झटका था क्योंकि हीट शील्ड अलग नहीं हो पाए थे।” अन्नादुरई ने कहा, हमने विस्तार से अध्ययन किया है कि क्या गलत हो सकता है और यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि यह दोबारा न हो"।
PSLV-Polar Satellite Launch vehicle ( ध्रुवीय उपग्रह प्रमोचन वाहन )
ध्रुवीय उपग्रह प्रमोचन वाहन (पीएसएलवी), विश्व के सर्वाधिक विश्वसनीय प्रमोचन वाहनों में से एक है। यह गत 20 वर्षो से भी अधिक समय से अपनी सेवाएं उपलब्ध करा रहा है तथा इसने चंद्रयान-1, मंगल कक्षित्र मिशन, अंतरिक्ष कैप्सूल पुनःप्रापण प्रयोग (स्पेस कैप्सूल रिकवरी एक्सपरिमेंट), भारतीय क्षेत्रीय दिशानिर्देशन उपग्रह प्रणाली (आईआरएनएसएस) आदि जैसे अनेक ऐतिहासिक मिशनों के लिए उपग्रहों का प्रमोचन किया है। प्रमोचन सेवादाता के रूप में पीएसएलवी कई संगठनों की पहली पसंद है तथा इसने 19 देशों के 40 से अधिक उपग्रहों को प्रमोचित किया है। सन् 2008 में इसने एक प्रमोचन में सर्वाधिक, 10 उपग्रहों को विभिन्न निम्न पृथ्वी कक्षा में स्थापित करने का रिकार्ड बनाया था।वाहन की विशेषताऍं:
ऊंचाई
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44 मी
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व्यास
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2.8 मी
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चरणों की संख्या
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4 चरण
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उत्थापन द्रव्यमान
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320 टन (एक्स.एल.)
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प्रकार
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3 पीएसएलवी-जी, पीएसएलवी-सीए, पीएसएलवी-एक्सएल)
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पहली उड़ान
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20 सितंबर 1993
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तकनीकी विशेषताऍं:
- सूर्य तुल्यकाली ध्रुवीय कक्षा (एसएसपीओ) के लिए नीतभार 1,750 कि.ग्रा. : पीएसएलवी ने अनेक उपग्रहों, विशेषकर आईआरएस श्रृंखला के उपग्रहों को निम्न पृथ्वी कक्षा में भेज कर इसरो के लद्दू घोड़े (वर्क हॉर्स ऑफ इसरो) का खिताब पाया है । यह 1,750 कि.ग्रा. तक भारी नीतभार को 600 कि.मी. की ऊँचाई पर सूर्य तुल्यकाली ध्रुवीय कक्षा में ले जा सकता है।
- उप भू-स्थिर अंतरण कक्षा के लिए नीतभार : 1,425 कि.ग्रा. : अपनी अद्वितीय विश्वसनीयता के कारण पी.एस.एल.वी. को विभिन्न उपग्रहों को भू-तुल्यकाली कक्षा तथा आईआरएनएसएस उपग्रह समूह के उपग्रहों को भू-स्थिर कक्षा में भेजने के लिए भी प्रयुक्त किया गया है।
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PSLV वाहन के प्रक्षेपण के विभिन्न चरण :
चतुर्थ चरण : पी.एस.4 : पीएसएलवी सबसे ऊपरी चरण पीएस 4 है, इसमें दो पृथ्वी संग्रहणीय तरल इंजन लगते हैं ।
इंजन : 2 x पी.एस.-4
ईंधन : एमएमएच + एमओएन
अधिकतम प्रणोद : 7.6 x 2 kN
तृतीय चरण : पी.एस. 3 : पीएसएलवी का तीसरा चरण ठोस रॉकेट मोटर होती है, जो प्रमोचन के वायुमंडलीय चरण के पश्चात ऊपरी चरणों को उच्च प्रणोद उपलब्ध कराती है।
ईंधन : एचटीपीबी
अधिकतम प्रणोद : 240 kN
द्वीतीय चरण : पी.एस.2 : पीएसएलवी के दूसरे चरण में तरल नोदन प्रणाली केन्द्र द्वारा विकसित पृथ्वी संग्रहणीय तरल रॉकेट इंजन लगा होता है जिसे विकास इंजन के नाम से भी जाना जाता है ।
इंजन : विकास
ईंधन : यूडीएमएच + N2O4
अधिकतम प्रणोद : 799 kN
प्रथम चरण : पी.एस.1 : पीएसएलवी में 6 ठोस स्ट्रैपऑन बूस्टरों द्वारा संवर्धित एस-139 ठोस रॉकेट मोटर का उपयोग किया जाता है ।
इंजन : एस139
ईंधन : एचटीपीबी
अधिकतम प्रणोद : 4800 kN
स्ट्रैपऑन मोटर : पीएसएलवी द्वारा उसके पीएसएलवी-जी तथा पीएसएलवी-एक्स एल किस्म के रॉकेटों में पहले चरण के दौरान प्रणोद को बढ़ाने के लिए 6 ठोस रॉकेट स्ट्रैपऑन मोटरों का प्रयोग किया जाता है ।
ईंधन : एचटीपीबी
अधिकतम प्रणोद: 719 kN
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