धारा 370 पर विशेष लेख

#अनुच्छेद 370:- परीक्षापयोगी विशेष लेख#

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 1 के तहत , जम्मू तथा कश्मीर राज्य भारतीय संघ का एक संवेधानिक राज्य है तथा इसकी सीमाएं भारतीय सीमाओं का एक भाग है ।दूसरे परिप्रेक्ष्य में , संविधान के भाग 21 के अनुच्छेद 370 में इसे विशेष राज्य का दर्जा दिया गया है। इसके अनुसार भारतीय संविधान के सभी उपबंध इस पर लागू नहीं होंगे । यह भारतीय संघ में एकमात्र ऐसा राज्य है जिसका प्रथक संविधान है जो 26 जनवरी 1957 को लागु हुआ । आजादी के बाद 26 अक्टू. 1947 को पं नेहरू तथा महाराजा हरिसिंह के द्वारा विलय पत्र के माध्यम से जम्मू और कश्मीर को भारत में शामिल किया गया ।
        भारतीय संविधान में धारा 370 का प्रावधान जवाहरलाल नेहरु के विशेष हस्तक्षेप से तैयार किया गया था। इस प्रावधान का औचित्य जन भावना को बताया गया क्योंकि जम्मू और कश्मीर ब्रिटिश नियमो पर भारत में विलय हुआ था, जिसका मुख्य आधार जनता का मत जो किसी भी संघ सरकार में मिलने या न मिलने से था। यह भी प्रावधान किया गया कि यदि राष्ट्रपति चाहे तो इसे समाप्त भी कर सकता हे लेकिन इस धारा का एक परंतुक (proviso) भी हे जो कहता हे कि 370 को समाप्त करने के लिए संविधान सभा का अनुमोदन आवश्यक है।
        धारा 370 के तहत संसद को जम्मू और कश्मीर में रक्षा, विदेश, संचार आदि विषयो पर ही कानून बनाने का अधिकार था। अन्य विषयो पर राज्य की विधान सभा का अनुमोदन आवश्यक था। जम्मू और कश्मीर का पृथक संविधान हे, जिसमे दोहरी नागरिकता, विधानसभा का 6 वर्षीय कार्यकाल, पंचायती राज संस्थाओ की अनुपस्थिति, उच्चतम न्यायालय द्वारा जम्मू कश्मीर न्यायालय के आदेशो के विरुद्ध अपील की स्वीकृति नही, राष्ट्रपति शासन के अनुच्छेद 356 व 360 लागू न होना तथा  भारतीय संसद द्वारा निर्मित का कानूनो (RTI,RTE व CAG) पर राज्य की सहमति आवश्यक आदि उपबंध थे। समय-समय पर इसमें संशोधन किये गए यथा- जम्मू कश्मीर न्यायालय के आदेशों के विरुद्ध उच्चतम न्यायालय मे अपील की जा सकती है, लोकसभा में प्रतिनिधित्व, CAG के अधिकार लागू हुए, केंद्रीय सेवा के IAS, IPS अधिकारियों की नियुक्ति, भारतीय जनगणना कानून लागु होना, संवेधानिक तंत्र की विफलता पर राष्ट्रपति शासन लागु किये जाने के अधिकार प्राप्त हुए।इन संशोधनों का उद्देश्य भारतीय संघ की एकता-अखण्डता बनी रहे और जम्मू कश्मीर में भी अन्य राज्यो की भांति केंद्रीय आदेशो/कानूनों/नीतियों को लागु किया जा सके ।

        आलोचको के अनुसार धारा 370 अलगाववाद की पोषक हे। जम्मू कश्मीर के अलगाववादी संगठन हुरियत कान्फ्रेश व अन्य संगठन द्वारा वहाँ किये गए पृथक प्रावधानों का फायदा उठाया जाता हे और राज्य के किसी भी क्षेत्र मे भारत से अलग होने की मांग को लेकर बंद का आयोजन किया जाता है। शांति बहाली के लिए धारा 370 को समाप्त किया जाना चाहिए।


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